प्रातः काल उठकर नित्य क्रिया कर्म के बाद स्नान करना चाहिए। इसके पश्चात किसी चौकी पर साफ कपड़ा उठाकर उसे पर भगवान परशुराम जी को स्थापित करना चाहिए। इसके पश्चात भगवान परशुराम को जल, अक्षत, रोली, सिंदूर, फल, फूल, पान, इत्र व मिष्ठान अर्पित करते हुए विधि विधान से आह्वान करना चाहिए।
भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और कुबेर जी धन वर्षा करते हैं। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम को सप्त चिरंजीवियों में से एक माना जाता है। जबकि भगवान विष्णु के अन्य सभी अवतार पृथ्वी लोक से जा चुके हैं तथा भगवान परशुराम को धरती पर ही माना जाता है। इसीलिए मान्यता यह भी है कि भगवान परशुराम जी की पूजा नहीं बल्कि उनका आह्वान किया जाता है। इसीलिए भगवान परशुराम की जयंती नहीं बल्कि भगवान परशुराम जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान परशुराम को विष्णु भगवान का सबसे उग्र अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने कुबेर जी महाराज को कैद कर लिया था, अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान परशुराम के जन्मदिवस पर भारत के सभी प्रदेशों में सुव्यवस्थित झांकियां निकाली जाती हैं तथा उनके भक्त इसे त्यौहार की तरह मानते हैं।