भगवान परशुराम का जन्म इंदौर जिले के जानापाव पर्वत पर हुआ था। भगवान परशुराम महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। इन्हे भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। इनके माता-पिता ने इनका नाम राम रखा था। भगवान को शिव जी द्वारा परसु नाम का अस्त्र दिया गया था। जिससे इनका नाम भगवान परशुराम पड़ा। ऋषि विश्वामित्र तथा ऋचीक उनके गुरु थे। भगवान परशुराम के शिष्य द्रोणाचार्य भीष्म और कर्ण थे।
भगवान परशुराम जी ने भगवान राम को सारंग नाम का धनुष दिया था और भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था। धर्म की रक्षा में भगवान परशुराम ने भगवान राम और श्री कृष्ण का साथ दिया था।
माना जाता है कि भगवान परशुराम ने अपने पिता के आदेश पर अपनी माता का सिर काट दिया था तथा पिता के द्वारा वर मांगने पर उन्होंने अपनी माता को जीवित मांगा था इसके पश्चात ऋषि जमदग्नि ने उनकी मां रेणुका को जीवित कर दिया था।
मान्यता के अनुसार एक बार परशुराम जी भगवान शिव जी के दर्शन करने जा रहे थे उन्हें रास्ते में भगवान गणेश जी द्वारा रोक लिया गया था जिससे क्रोधित होकर उन्होंने श्री गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया था उसके बाद से ही गणेश जी महाराज को एक दंत कहा जाने लगा है।
भगवान परशुराम द्वारा हे हे वंशियों को 21 बार हराया था। परंतु भगवान परशुराम के विरोधियों द्वारा फैलाया गया है कि भगवान परशुराम ने 21 बार धरती से क्षत्रियों को विनाश किया था जो की पूर्णता निरर्थक बात है।
भगवान परशुराम के गुरु ऋचीक द्वारा कहने पर पृथ्वी का सारा राज छोड़कर वह तपस्या करने चले गए थे।