उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नंद गांव में शनि देव महाराज का सिद्ध मंदिर है, जिसे कोकिलावन धाम के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार सभी व्यक्ति को जीवन में शनि की साढ़ेसाती से जरूर गुजरना पड़ता है। कहां जाता है कि शनि देव से कभी नजर नहीं मिलानी चाहिए क्योंकि उनकी दृष्टि वक्री है, जो व्यक्ति का जीवन नष्ट कर सकती है।
परंतु मथुरा के नंद गांव में शनि देव का यह मंदिर जहां माना जाता है कि शनि देव की वक्र दृष्टि का असर नहीं होता है। कहां जाता है कि यहां शनिदेव पर सात शनिवार लगातार सरसों का तेल चढ़ाने पर साढ़ेसाती का प्रकोप दूर हो जाता है। यहां माना गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने शनिदेव महाराज को कोयल के रूप में दर्शन दिया था।
मान्यता के अनुसार शनि देव महाराज भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे। जब श्री कृष्ण वृंदावन में अपनी बाल लीलाएं कर रहे थे तो सभी देवता भगवान के बाल रूप का दर्शन करने वृंदावन आए थे उसी समय शनि महाराज भी अपने आराध्य श्री कृष्ण का दर्शन करने पहुंचे थे। वक्र दृष्टि होने के कारण उन्हें भगवान श्री कृष्ण का दर्शन करने से रोक दिया गया तब श्री कृष्ण ने संदेश पहुंचाया कि वे नंद गांव के पास वन में उनकी तपस्या करें वही भगवान श्री कृष्ण उन्हें दर्शन देंगे। इसके पश्चात शनिदेव महाराज ने वहां तपस्या की तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिया और कहा कि वह अब यहीं पर ठहर जाएं। भगवान श्री कृष्ण की बात मानते हुए शनि महाराज वहीं विराजमान हो गए। भगवान श्री कृष्ण ने इस स्थान को कोकिलावन धाम का नाम दिया और कहा कि जो भी शनि देव आकर दर्शन करेगा उस पर कभी भी शनि की वक्र दृष्टि नहीं पड़ेगी और इसके साथ सभी भक्तों के जीवन के कष्ट दूर होंगे। शनि देव के इस मंदिर में बायीं तरफ भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी जी विराजमान है। नंदगांव में स्थित इस शनि मंदिर में शनिवार के दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। यहां पर काफी श्रद्धालु सवा कोस की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा के पश्चात श्रद्धालु सूर्यकुंड में स्नान करके शनि देव महाराज की पूजा करते हैं।