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अखिल भारतीय ब्राह्मण एकीकृत परिषद् (ABBEP)

विप्र सहयोग सुरक्षा और सम्मान, ब्राम्हणों की एकता, ब्राह्मणत्व विस्तार, प्रशिक्षण व सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध एक समूह, किसी भी अन्य जाति से घृणा किये बिना विश्व के सर्व ब्राह्मणों के हितों का संरक्षण करना परिषद् का एकमात्र उद्देश्य है।

1- न्यास के पदाधिकारी की नियुक्ति

न्यास में निम्नलिखित पद होंगे
अध्यक्ष – 1
उपाध्यक्ष – 4
महासचिव – 5
कोषाध्यक्ष – 1
सचिव -10
संगठन सचिव – 1
राष्ट्रीय प्रवक्ता – 1
कार्यकारिणी सदस्य – 10

(i)- आवश्यकता पड़ने पर न्यासी मंडल सभी पदों के लिए चुनाव भी आयोजित कर सकता है।
(ii)- अध्यक्ष के अलावा सभी पदों का कार्यकाल 2 वर्ष का होगा और वार्षिक चुनाव के आधार पर इन पदों का चुनाव किया जाएगा।
(iii)- लेखा परीक्षक की नियुक्ति ट्रस्ट द्वारा की जाएगी।
(iv)- एकाउंटिंग की प्रचलित और स्वीकार्य पद्धति लागू करना, लेखा जोखा मेंटेन करना और बैलेंस शीट तैयार करना कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी किंतु ट्रस्ट लगातार इस बारे में जागरूक रहेगा ताकि विलंब या किसी गड़बड़ी से बचा जा सके।
(v)- सभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और महासचिवों को पद के साथ-साथ कुछ प्रदेशों का प्रभाव दिया जा सकता है। कुछ कनिष्ठ पदाधिकारी को स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है। यह प्रभार ट्रस्टी की मीटिंग में लिए गए निर्णय के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा।
(vi)- संगठन के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा ट्रस्ट की बैठक में चर्चा और बहुमत के आधार पर अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा।
(vii)- प्रदेश स्तरीय अन्य पदों की नियुक्ति प्रदेश अध्यक्ष की सहमति के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा।

2- न्यास की राष्ट्रीय कार्यकारिणी

(i)- राष्ट्रीय कार्यकारिणी बोर्ड आफ ट्रस्टीज के निर्देशन में करने वाली राष्ट्रीय कार्यदायी संस्था होगी।
(ii)- ट्रस्ट के अध्यक्ष द्वारा पदाधिकारियों की सहमति से राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा।
(iii)- राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सभी राज्यों को यथासंभव समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
(iv)- कार्यकारिणी के सदस्यों का ट्रस्टी होना आवश्यक नहीं है। कार्यकारिणी संगठन के सभी कार्यों का निर्धारण और अनुमोदन करेगी।
(v)- कार्यकारिणी की बैठकों में विशेष आमंत्रित सदस्यों को शामिल किया जा सकता है, जिन्हें संगठन के किसी भी स्तर और किसी भी राज्य से आमंत्रित किया जा सकता है।
(vi)- ट्रस्ट का अध्यक्ष ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी का अध्यक्ष होगा और वह ट्रस्ट के सभी प्रकोष्ठों का पदेन अध्यक्ष भी होगा।
(vii)- संगठन के 10 गैर ट्रस्टी सदस्यों को कार्यकारिणी में शामिल किया जा सकता है।
(viii)- अध्यक्ष बोर्ड आफ ट्रस्टीज से मंत्रणा करके समय-समय पर कार्यकारिणी का विस्तार करेगा।

3- प्रशासनिक एवं कार्यकारी व्यवस्था

(i)- ट्रस्ट का अध्यक्ष ही प्रशासनिक एवं कार्यकारिणी का अध्यक्ष होगा।
(ii)- संगठन के विभिन्न सामाजिक प्रकोष्ठों को सुचारू और सुव्यवस्थित रूप से चलाने के लिए राष्ट्रीय संयोजकों की नियुक्ति की जा सकती है, जो अपने प्रकोष्ठों से संबंधित सभी कार्य और संगठन व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
(iii)- राष्ट्रीय व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन के लिए चार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पांच राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया जा सकते हैं। जरूरत के अनुसार इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।
(iv)- राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव से अपेक्षित है कि वह संगठन के सामाजिक कार्यों के विस्तार हेतु राज्यों का मार्गदर्शन करेंगे और संगठन द्वारा चलाई जाने वाली सामाजिक योजनाओं का संबंधित राज्यों में राज्य संगठन के माध्यम से क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे।
(v)- न्यूनतम 10 और अधिकतम 15 सचिव नियुक्त किया जा सकते हैं, जिनका ट्रस्टी होना आवश्यक नहीं है। प्रत्येक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव के साथ एक सचिव को सहयोग के लिए संबंध किया जा सकता है, आवश्यकता पड़ने पर सचिवों को राज्य का स्वतंत्र प्रभार भी दिया जा सकता है।
(vi)- एक कोषाध्यक्ष, एक संगठन सचिव और एक राष्ट्रीय प्रवक्ता की नियुक्ति की जा सकती है।
(vii)- सभी पदाधिकारी का कार्यकाल अधिकतम 2 वर्ष और उसके बाद अध्यक्ष द्वारा कार्यकारिणी से मंत्रणा करके नवीनीकृत किया जा सकता है।

4- राष्ट्रीय प्रकोष्ठ का गठन

(i)- समाज की अति महत्वपूर्ण समस्याओं में त्वरित सहयोग तथा उन पर विशेष ध्यान देने हेतु सामाजिक कार्य योजनाएं चलाई जाएंगी इस विशेष उद्देश्य के लिए प्रकोष्ठ घोषित किए जाएंगे, ताकि उन पर केंद्रकृत ध्यान दिया जा सके। सभी प्रकोष्ठ समाज सेवा के लिए विशेष परियोजनाओं आधारित होंगे जिन पर निरंतर कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
(ii)- सभी प्रकोष्ठ संगठन के केंद्रीकृत उपक्रम होंगे जो सीधे अध्यक्ष के मार्गदर्शन में काम करेंगे। प्रकोष्ठ का नेतृत्व संयोजक करेंगे और वह प्रकोष्ठ की संरचनात्मक संरचना को पूरी तरह से उत्तरदायित्व निर्वहन करेंगे।
(iii)- राज्य से लेकर और निचली इकाई तक का उत्तरदायित्व संयोजक का होगा जिसे वह संचालन समिति के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे.
(iv)- कार्य निष्पादन में निरंतरता बनाए रखने के लिए प्रकोष्ठ के संगठन के किसी भी स्तर या संचालन में मुख्य संगठन की प्रदेश या जिला इकाई का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा किंतु पारस्परिक लाभ हेतु दोनों इकाइयों में सहयोग और समन्वय सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि संगठन के सामाजिक कार्य में सुगमता और समरसता स्थापित हो सके।
(v)- वर्तमान परिस्थितियों में 1-विवाह प्रकोष्ठ 2- सामाजिक एकता एवं समरसता प्रकोष्ठ 3- विधि और न्याय प्रकोष्ठ 4- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रकोष्ठ 5- शिक्षा एवं कौशल विकास प्रकोष्ठ 6- उद्योग और व्यापार प्रकोष्ठ 7- सेवा और प्रशासनिक प्रकोष्ठ 8- महिला प्रकोष्ठ 9- युवा प्रकोष्ठ 10- मीडिया प्रकोष्ठ आदि का गठन एवं संचालन अपेक्षित है।
(vi)- समय-समय पर आवश्यकता अनुसार और प्रकोष्ठ गठित किया जा सकते हैं। प्रत्येक प्रकोष्ठ अपना अपना विजन एवं मिशन प्रपत्र तैयार करेंगे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी को प्रेषित करेंगे ताकि इसे ट्रस्ट के नीतिगत उद्देश्यों में शामिल किया जा सके।

5- राष्ट्रीय प्रकोष्ठ की संरचना

(i)- राष्ट्रीय स्तर पर प्रकोष्ठ का नेतृत्व राष्ट्रीय संयोजक करेंगे जिनका नामांकन राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे।
(ii)- प्रकोष्ठ की संरचना में एकरूपता बनाए रखने के लिए राज्य स्तर पर एक राज्य संयोजक नियुक्त किए जाएंगे।
(iii)- राज्य स्तर पर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए एक राज्य स्तरीय परामर्शदात्री समिति का गठन किया जाएगा जिसमें अधिकतम 20 सदस्यों होंगे तथा राज्य संचालन समिति के सभी सदस्य इसके पदेन सदस्य होंगे।
(iv)- जिला स्तर पर भी एकरूपता बनाए रखने के लिए जिला परामर्शदात्री समिति का गठन किया जाएगा जिसमें 20 सदस्य होंगे।
(v)- संगठन के विस्तार और प्रसार की संभावनाओं को देखते हुए तहसील और ब्लॉक स्तर पर भी इकाइयां गठित की जा सकती हैं, जिनकी संरचना भी जिला इकाई के अनुरूप होगी।

6- इकाइयां और संगठन की संरचना

(i) – राज्य स्तरीय इकाईयां

1- राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पदाधिकारी मिलकर यह प्रयास करेंगे कि संगठन का विस्तार हर राज्य में किया जा सके।
2- राष्ट्रीय पदाधिकारी हर संभव प्रयास करेंगे और जहां कहीं मुख्य संगठन की इकाई नहीं है लेकिन किसी एक अधिक प्रकोष्ठों की इकाइयां हैं तो उनकी सहायता से मुख्य संगठन की इकाई का निर्माण करेंगे।
3- अगर किसी राज्य में मुख्य इकाई है और प्रकोष्ठ की इकाइयां नहीं है तो संबंधित प्रकोष्ठ संगठन की राज्य इकाई की सहायता लेकर अपने प्रकोष्ठ की इकाइयों का निर्माण कर सकते हैं।
4- इस तरह से संगठन के हर स्तर पर मुख्य संगठन और प्रकोष्ठ इकाइयों के मध्य परस्पर सहयोग और सामंजस स्थापित किया जाएगा।

(ii) – संगठन की संरचना

1- राष्ट्रीय संगठन के अनुरूप प्रत्येक राज्य ने एक राज्य अध्यक्ष, चार राज्य उपाध्यक्ष, पांच राज्य महासचिव और 10 राज्य सचिव नियुक्त किया जा सकते हैं।
2- प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा की जाएगी
3- प्रदेश अध्यक्ष, राज्य के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव या प्रभारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से परामर्श करके अन्य प्रादेशिक नियुक्तियां कर सकते हैं।
4- प्रत्येक प्रदेश महासचिव और प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ एक सचिव संबंध किया जाएगा।
5- राज्य महासचिव और राज्य उपाध्यक्षों को राज्य के भौगोलिक स्थिति अनुसार जिलों का आवंटन किया जा सकता है, ताकि संगठन के प्रचार और प्रसार में प्रतियोगात्मक भावना विकसित हो सके और संगठन का शीघ्र से शीघ्र विस्तार हो सके।

(iii) – जिला स्तरीय संगठन

1- प्रदेश संगठन के अनूप प्रत्येक जिले में एक जिला अध्यक्ष, चार जिला उपाध्यक्ष, पांच जिला महासचिव और 10 जिला सचिव नियुक्त किया जा सकते हैं।
2- नामांकन प्रदेश अध्यक्ष द्वारा संचालित संचालन समिति से परामर्श के बाद किया जाएगा।
3- जिला अध्यक्ष, अपने जिले के लिए जिला उपाध्यक्ष जिला महासचिव तथा जिला सचिव के लिए जिले के प्रभारी राज्य महासचिव या राज्य उपाध्यक्ष के परामर्श से नामांकन कर सकते हैं।
4- राज्य की तरह जिले में पांच सदस्यों वाली संचालन समिति होगी जो जिला परामर्शदात्री समिति का गठन करेगी।

(iv) – तहसील एवं ब्लॉक स्तरीय संगठन

जिला स्तरीय संगठन के आधार पर और उसके अनुरूप तहसील और ब्लॉक स्तर तक संगठन का विस्तार किया जा सकता है।

7- संगठनात्मक नियुक्तियों के नियुक्ति पत्र

(i)- पदाधिकारी की नियुक्तियों में एकरूपता रखने के लिए नियुक्ति पत्र केंद्रीयकृत प्रणाली के अनुसार निर्गत किए जाएंगे इसके लिए दो स्तरीय व्यवस्था लागू की जा सकेगी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय।
(ii)- सभी केंद्रीय पदाधिकारी तथा मुख्य संगठन के राज्यों के अध्यक्षों के नियुक्ति पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा निर्गत किए जाएंगे।
(iii)- प्रदेश उपाध्यक्ष तथा प्रदेश महासचिवों तथा राज्य सचिवों के नियुक्ति पत्र भी राज्य अध्यक्ष की संस्तुति पर राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा निर्गत किए जाएंगे।
(iv)- इसी प्रकार प्रकोष्ठ के संयोजकों के नियुक्ति पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा निर्गत किए जाएंगे।
(v)- प्रकोष्ठ के राज्य स्तरीय नियुक्ति पत्र संचालन समिति के परामर्श से राष्ट्रीय संयोजक द्वारा तथा जिला एवं निचले स्तर की इकाइयों की नियुक्ति पत्र राज्य संचालन समिति के परामर्श से राज्य संयोजक द्वारा निर्गत किए जाएंगे।
(vi)- किसी स्तर पर कोई इकाई ना होने की दशा में उसके ऊपर की इकाई नियुक्ति पत्र निर्गत करेगी।
(vii)- सभी नियुक्तियों में पूरी तरह पारदर्शिता सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है, ताकि समाज सेवा के पुनीत लक्ष्य को पूरा किया जा सके।
(viii)- नियुक्ति पत्र अध्यक्ष के हस्ताक्षर से जारी किया जाएगा। केवल प्रकोष्ठों का नियुक्ति पत्र संयोजकों द्वारा जारी किया जाएगा।

8- संगठन की अनिवार्य बैठकें और निष्पादन समीक्षा

(i)- राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 6 माह में एक बार अवश्य होगी बैठक में एक या अधिक राज्यों के अध्यक्षों तथा सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय संयोजकों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।
(ii)- बैठक के एजेंट में संगठन का प्रसार और सामाजिक गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी।
(iii)- अन्य सामाजिक और महत्वपूर्ण बिंदु बैठक में चर्चा के लिए शामिल किया जा सकते हैं।
(iv)- बैठक का एजेंडा मीटिंग से एक सप्ताह पूर्व सभी प्रतिभागियों को प्रेषित कर दिया जाएगा।
(v)- समय और संसाधन बढ़ाने के लिए बैठकर सामान्य रूप से ऑनलाइन भी की जा सकती हैं।
(vi)- प्रत्येक प्रकोष्ठ हर माह अपनी ऑनलाइन बैठक आयोजित करेगा जिसमें सभी राज्यों के संयोजक तथा कुछ चयनित जिलों के संयोजक शामिल होंगे।
(vii)- अन्य प्रकोष्ठों से एक राष्ट्रीय संयोजक और मुख्य संगठन की एक या दो राज्य अध्यक्षों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।
(viii)- प्रकोष्ठ के राज्य संयोजक इसी तरह जिलों की संयोजकों से मासिक आधार पर समीक्षा बैठक आयोजित करेंगे, जिसमें मुख्य संगठन के राज्य अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बैठक में शामिल कर सकते हैं।
(ix)- मुख्य संगठन के राज्य अध्यक्ष भी मासिक अंतराल पर जिलों के अध्यक्ष के साथ समीक्षा बैठक आयोजित करेंगे, जिसमें प्रकोष्ठ के राज्य संयोजकों को भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल कर सकते हैं।
(x)- उक्त के अनुरूप जिलों में भी बैठकर आयोजित की जा सकती हैं।

9- बैंक खातों का संचालन

(i)- ट्रस्ट के केंद्रीय अकाउंट का संचालन राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और एक राष्ट्रीय महासचिव द्वारा किया जाएगा।
(ii)- खाते का संचालन कोषाध्यक्ष तथा एक अन्य पदाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर के साथ किया जाएगा।
(iii)- राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष द्वारा सभी प्रदेश कोषाध्यक्ष से माह की रिपोर्ट लेना और कोष बढ़ाने को लेकर चर्चा करेंगे। जिस प्रदेश में बैंक अकाउंट नहीं है वहां के कोर्स को केंद्रीय अकाउंट में रखा जाएगा और जरूरत के अनुसार उसे राज्य को दिया जाएगा।
(iv)- राज कमेटी को खाता खोलने के लिए ट्रस्टी के किन्हीं दो पदाधिकारी या प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर द्वारा किया जाएगा।

10- ट्रस्ट की सदस्यता

ज्यादा से ज्यादा लोगों को ट्रस्ट से जोड़ने के लिए संगठित सदस्यता अभियान चलाया जाएगा, इसके लिए सांकेतिक सदस्यता शुल्क के रूप में 101 रुपए का अंशदान स्वीकार किया जाएगा। अंशदान की धनराशि बोर्ड आफ ट्रस्टीज के निर्णय के अनुसार परिवर्तित की जा सकती है।

रेनू पाठक
राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिल भारतीय ब्राह्मण एकीकृत परिषद